Wednesday, December 29, 2010

मुझे कुछ बनना नहि है

मुझे कुछ बनना नहि है;
मुझे कोई भी स्वरूप से तेरे साथ संबंध जोड़ना है।
मेरे लिए तू कौन-सा स्वरूप से आया वह महत्तव का नहि है;तू आया वहीं मेरा पूर्ण संतोष है।
आए, जगत की पीड़ाओं में;
आए,सुख-साह्यबीओं में;
आए,विकृतियाँ या प्रकृतियाँ में;
मुझे कोई भी स्वरूप से तेरे साथ संबंध जोड़ना है।
तेरे साथ संबंधहीन एक पल भी महा पीड़ा की बनकर मेरे अस्तित्व को अस्त-व्यस्त करती है...
सभी द्वार खुल जाओ
और तेरा प्रवेश किसी भी स्वरूप से होओ;
तेरे साथ का संबंध ही मेरा जीवन और मृत्यु रस है।