सात सूत्रों
1.कुछ न होना फिर भी सब लगना यही भावस्थिति परमात्मा है।
2.श्रवणेन्द्रिय का संपूर्ण विकास से ही आप चारों ओर बजता ईश्वर का गीत सुन सकते हो।
3.प्रेम की अंतिम स्थिति में प्रेमी के देह की ज़रूरत नहि होती।
4.द्वन्द्व का जब विलय होता है तभी प्रेम प्रकट होता है।
5.जब आप शून्य में होते हो तभी प्रेम में होते हो।
6.आनंद कहीं से आता नहि,जब आप पात्र बनते हो तभी वह आप से प्रकट होता है।
7.दुनिया को सुंदरत्तम बनाने के लिए बिन पौंधे के फूलों की संख्या बढ़नी चाहिए।