SONGS OF A MOMENT
ક્ષણમાં અવતરેલાં આ ગીતો ભગવત્તાની અનેક ઝલકો આપશે...
Thursday, November 10, 2011
Wednesday, April 13, 2011
બુદ્ધં શરણં ગચ્છામિ
બુદ્ધં શરણં ગચ્છામિ
--------------
શ્વાસને ક્યાં પીડા છે ?
એ તો આવ-જા કરે રાખે છે
સમગ્ર હલબલે છે
હાહાકાર,ચિચિયારીઓ...
ને શ્વાસ થોડી ગતિ જ બદલે છે
કાં અટકતો નથી?
ખટકતો ક્યાં સુધી રહીશ?
ક્ષણ સંપૂર્ણ મૌન
ને એક જ્યોત આરપાર
શીતલ થયો ક્ષણવાર
હવે ન કરું,શ્વાસ,તને ફરિયાદ
યાદ દોરે છેઃ
બુદ્ધં શરણં ગચ્છામિ.
--------------
શ્વાસને ક્યાં પીડા છે ?
એ તો આવ-જા કરે રાખે છે
સમગ્ર હલબલે છે
હાહાકાર,ચિચિયારીઓ...
ને શ્વાસ થોડી ગતિ જ બદલે છે
કાં અટકતો નથી?
ખટકતો ક્યાં સુધી રહીશ?
ક્ષણ સંપૂર્ણ મૌન
ને એક જ્યોત આરપાર
શીતલ થયો ક્ષણવાર
હવે ન કરું,શ્વાસ,તને ફરિયાદ
યાદ દોરે છેઃ
બુદ્ધં શરણં ગચ્છામિ.
Sunday, March 6, 2011
બે કાવ્યો
1.
વાસના નથી
કોઇ માગ નથી
મને હજી સ્ત્રી ગમે છે
એનું વાત્સલ્ય,સૌંદર્ય, મીઠાશ,લજ્જા
આકાશથી પણ સોહામણી લાગે છે
એ માતા, પત્ની,ભગિની,દાદી...
બધા રોલ સહજતાથી,બખૂબી નિભાવે છે
મને હજી સ્ત્રી ગમે છે
2.
ઇશ ભરોસો એક
પછી ચિંતા શું?
વિઘ્નો આવે ને જાય
સહજતાથી નિરખ્યા કરું
આવો બીજો કોણ બડભાગી?
00000000
વાસના નથી
કોઇ માગ નથી
મને હજી સ્ત્રી ગમે છે
એનું વાત્સલ્ય,સૌંદર્ય, મીઠાશ,લજ્જા
આકાશથી પણ સોહામણી લાગે છે
એ માતા, પત્ની,ભગિની,દાદી...
બધા રોલ સહજતાથી,બખૂબી નિભાવે છે
મને હજી સ્ત્રી ગમે છે
2.
ઇશ ભરોસો એક
પછી ચિંતા શું?
વિઘ્નો આવે ને જાય
સહજતાથી નિરખ્યા કરું
આવો બીજો કોણ બડભાગી?
00000000
Tuesday, January 11, 2011
वह श्रमपुरुष
वह श्रमपुरुष
--------------
वह श्रमपुरुष सतत कार्य करता था।थक जता तभी विश्राम करता था।काम करना और विश्राम करना दो ही उसकी प्रवृत्ति थी।
‘आप इन दो ही प्रवृत्ति क्यूँ करते हो?’एक यौवना ने भाव से उसे पूछा।
उसने स्मित किया।कोई भी जवाब न दिया।
यौवना ने फिर भाव से उसे पूछा।
‘सतत श्रम के बाद मैं विश्राम करता हूँ तभी देह से बाहर निकल जाता हूँ...हवा में उड़ता हूँ;फूलों के साथ खेलता हूँ।जड़-चेतन सभी अपने दोस्त बनते है।मैं उन से परमभाव को अपने पूरे अस्तित्व से पीता हूँ।जब देह थकान से दूर होता है तब मैं फिर से देह में प्रवेश करता हूँ।उस ताजगीपूर्ण देह से मैं पुनः विश्राम में डूब जाता हूँ।इस चक्र चलता रहता है और जीवन उसके मूल रस से बहता रहता है।’उसने जवाब दिया।
‘...परंतु देह की जागृतावस्था में इस तरह नहि जिया जा सकता?'
‘जिया जा सकता;लेकिन मेरे श्रम से किसी-किसी के लिए आनंद का निर्माण होता है इसलिए मैंने श्रम और विश्राम का जीवन स्वीकार किया है।'
‘वाह,जग के महापुरुष तू अनन्य है।'इस तरह कहकर वह यौवना उसके चरनों में समर्पित हो गई।
तभी श्रम और विश्राम का मधुर गीत उस यौवना के अस्तित्व से हवा में फैल रहा था।
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वह श्रमपुरुष सतत कार्य करता था।थक जता तभी विश्राम करता था।काम करना और विश्राम करना दो ही उसकी प्रवृत्ति थी।
‘आप इन दो ही प्रवृत्ति क्यूँ करते हो?’एक यौवना ने भाव से उसे पूछा।
उसने स्मित किया।कोई भी जवाब न दिया।
यौवना ने फिर भाव से उसे पूछा।
‘सतत श्रम के बाद मैं विश्राम करता हूँ तभी देह से बाहर निकल जाता हूँ...हवा में उड़ता हूँ;फूलों के साथ खेलता हूँ।जड़-चेतन सभी अपने दोस्त बनते है।मैं उन से परमभाव को अपने पूरे अस्तित्व से पीता हूँ।जब देह थकान से दूर होता है तब मैं फिर से देह में प्रवेश करता हूँ।उस ताजगीपूर्ण देह से मैं पुनः विश्राम में डूब जाता हूँ।इस चक्र चलता रहता है और जीवन उसके मूल रस से बहता रहता है।’उसने जवाब दिया।
‘...परंतु देह की जागृतावस्था में इस तरह नहि जिया जा सकता?'
‘जिया जा सकता;लेकिन मेरे श्रम से किसी-किसी के लिए आनंद का निर्माण होता है इसलिए मैंने श्रम और विश्राम का जीवन स्वीकार किया है।'
‘वाह,जग के महापुरुष तू अनन्य है।'इस तरह कहकर वह यौवना उसके चरनों में समर्पित हो गई।
तभी श्रम और विश्राम का मधुर गीत उस यौवना के अस्तित्व से हवा में फैल रहा था।
Saturday, January 1, 2011
SONGS OF A MOMENT: धरती के लिए कैसी मुसीबत!
SONGS OF A MOMENT: धरती के लिए कैसी मुसीबत!: "धरती के लिए कैसी मुसीबत! ----------------------------------- उसको सभी महापुरुष कहते थे।वह धर्म के साथ इतना जुड़ा हुआ दिखता था कि सभी उ..."
धरती के लिए कैसी मुसीबत!
धरती के लिए कैसी मुसीबत!
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उसको सभी महापुरुष कहते थे।वह धर्म के साथ इतना जुड़ा हुआ दिखता था कि सभी उसको भगवान ही मानते थे।
उसका मनोविज्ञान का ज्ञान अद्भुत था।उसका प्रयोग करके वह मानव को संमोहित करता था।उसने उसके अहंकार को पुष्ट करने के लिए अनेक को मानसिक पंगुता दी थी-वह भी धर्म के नाम पर।
मृत्यु के बाद उसको नर्क में ड़ाला गया।
'मैंने बहुत धर्म का प्रचार किया है।कई लोगों को धर्माभिमुख किया है।मेरे लाखों अनुयायीओं आज भी धर्म का प्रचार कर रहे है।तो भी मुझे स्वर्ग के बजाय नर्क में क्यों ड़ाला गया है?'उसने नर्क के व्यवस्थापक को सवाल किया।
'धर्म के नाम पर इस व्यक्ति ने अधार्मिकता का प्रचार किया है।उसने कई लोगों को मानसिक पंगु बनाया है।इसको नर्क के सब से कनिष्ठ कोने में जगह दी जाय।'नर्क के व्यवस्थापक ने मृत्युदेव की नोंध बताई।
तभी कई महापुरूष की दरखास्त आईः'हमारे लिए तो स्वर्ग और नर्क दोनों समान है।हम सभी से पर है।जिसको स्वर्ग में आने की ईच्छा हो उसको हमारे बदले में आने दो।हम नर्क में जाने के लिए तैयार है।'
उन महापुरुषों की बात मृत्युदेव ने मान ली।
सभी महापुरूष नर्क में आएँ।नर्कवासीओं में उनकी उपस्थिति ने महोत्सव का रूप ले लिया।सभी के मुँह पर सर्वोत्तम चमक आने लगी।
वे धरती के महापुरूष और उनके अनुयायीओं को स्वर्ग के महापुरूषों की ईच्छा से स्वर्ग में प्रवेश दिया गया।
स्वर्गवासीओं को उनकी उपस्थिति हैरान करने लगी।
तब से मृत्युदेव ऐसे मानव का क्या करना चाहिए?इस बात पर विचार कर रहे है।जब तक इस बात का योग्य समाधान न मिले तब तक ऐसे महापुरुषों को धरती पर ही रखना ऐसा तय किया है मृत्यु देवने।
धरती के लिए कैसी मुसीबत!
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उसको सभी महापुरुष कहते थे।वह धर्म के साथ इतना जुड़ा हुआ दिखता था कि सभी उसको भगवान ही मानते थे।
उसका मनोविज्ञान का ज्ञान अद्भुत था।उसका प्रयोग करके वह मानव को संमोहित करता था।उसने उसके अहंकार को पुष्ट करने के लिए अनेक को मानसिक पंगुता दी थी-वह भी धर्म के नाम पर।
मृत्यु के बाद उसको नर्क में ड़ाला गया।
'मैंने बहुत धर्म का प्रचार किया है।कई लोगों को धर्माभिमुख किया है।मेरे लाखों अनुयायीओं आज भी धर्म का प्रचार कर रहे है।तो भी मुझे स्वर्ग के बजाय नर्क में क्यों ड़ाला गया है?'उसने नर्क के व्यवस्थापक को सवाल किया।
'धर्म के नाम पर इस व्यक्ति ने अधार्मिकता का प्रचार किया है।उसने कई लोगों को मानसिक पंगु बनाया है।इसको नर्क के सब से कनिष्ठ कोने में जगह दी जाय।'नर्क के व्यवस्थापक ने मृत्युदेव की नोंध बताई।
तभी कई महापुरूष की दरखास्त आईः'हमारे लिए तो स्वर्ग और नर्क दोनों समान है।हम सभी से पर है।जिसको स्वर्ग में आने की ईच्छा हो उसको हमारे बदले में आने दो।हम नर्क में जाने के लिए तैयार है।'
उन महापुरुषों की बात मृत्युदेव ने मान ली।
सभी महापुरूष नर्क में आएँ।नर्कवासीओं में उनकी उपस्थिति ने महोत्सव का रूप ले लिया।सभी के मुँह पर सर्वोत्तम चमक आने लगी।
वे धरती के महापुरूष और उनके अनुयायीओं को स्वर्ग के महापुरूषों की ईच्छा से स्वर्ग में प्रवेश दिया गया।
स्वर्गवासीओं को उनकी उपस्थिति हैरान करने लगी।
तब से मृत्युदेव ऐसे मानव का क्या करना चाहिए?इस बात पर विचार कर रहे है।जब तक इस बात का योग्य समाधान न मिले तब तक ऐसे महापुरुषों को धरती पर ही रखना ऐसा तय किया है मृत्यु देवने।
धरती के लिए कैसी मुसीबत!
Wednesday, December 29, 2010
SONGS OF A MOMENT: मुझे कुछ बनना नहि है
SONGS OF A MOMENT: मुझे कुछ बनना नहि है: "मुझे कुछ बनना नहि है; मुझे कोई भी स्वरूप से तेरे साथ संबंध जोड़ना है। मेरे लिए तू कौन-सा स्वरूप से आया वह महत्तव का नहि है;तू आया वहीं मेरा ..."
मुझे कुछ बनना नहि है
मुझे कुछ बनना नहि है;
मुझे कोई भी स्वरूप से तेरे साथ संबंध जोड़ना है।
मेरे लिए तू कौन-सा स्वरूप से आया वह महत्तव का नहि है;तू आया वहीं मेरा पूर्ण संतोष है।
आए, जगत की पीड़ाओं में;
आए,सुख-साह्यबीओं में;
आए,विकृतियाँ या प्रकृतियाँ में;
मुझे कोई भी स्वरूप से तेरे साथ संबंध जोड़ना है।
तेरे साथ संबंधहीन एक पल भी महा पीड़ा की बनकर मेरे अस्तित्व को अस्त-व्यस्त करती है...
सभी द्वार खुल जाओ
और तेरा प्रवेश किसी भी स्वरूप से होओ;
तेरे साथ का संबंध ही मेरा जीवन और मृत्यु रस है।
मुझे कोई भी स्वरूप से तेरे साथ संबंध जोड़ना है।
मेरे लिए तू कौन-सा स्वरूप से आया वह महत्तव का नहि है;तू आया वहीं मेरा पूर्ण संतोष है।
आए, जगत की पीड़ाओं में;
आए,सुख-साह्यबीओं में;
आए,विकृतियाँ या प्रकृतियाँ में;
मुझे कोई भी स्वरूप से तेरे साथ संबंध जोड़ना है।
तेरे साथ संबंधहीन एक पल भी महा पीड़ा की बनकर मेरे अस्तित्व को अस्त-व्यस्त करती है...
सभी द्वार खुल जाओ
और तेरा प्रवेश किसी भी स्वरूप से होओ;
तेरे साथ का संबंध ही मेरा जीवन और मृत्यु रस है।
Friday, December 17, 2010
SONGS OF A MOMENT: सात सूत्रों
SONGS OF A MOMENT: सात सूत्रों: "सात सूत्रों 1.कुछ न होना फिर भी सब लगना यही भावस्थिति परमात्मा है। 2.श्रवणेन्द्रिय का संपूर्ण विकास से ही आप चारों ओर बजता ईश्वर का गीत..."
सात सूत्रों
सात सूत्रों
1.कुछ न होना फिर भी सब लगना यही भावस्थिति परमात्मा है।
2.श्रवणेन्द्रिय का संपूर्ण विकास से ही आप चारों ओर बजता ईश्वर का गीत सुन सकते हो।
3.प्रेम की अंतिम स्थिति में प्रेमी के देह की ज़रूरत नहि होती।
4.द्वन्द्व का जब विलय होता है तभी प्रेम प्रकट होता है।
5.जब आप शून्य में होते हो तभी प्रेम में होते हो।
6.आनंद कहीं से आता नहि,जब आप पात्र बनते हो तभी वह आप से प्रकट होता है।
7.दुनिया को सुंदरत्तम बनाने के लिए बिन पौंधे के फूलों की संख्या बढ़नी चाहिए।
1.कुछ न होना फिर भी सब लगना यही भावस्थिति परमात्मा है।
2.श्रवणेन्द्रिय का संपूर्ण विकास से ही आप चारों ओर बजता ईश्वर का गीत सुन सकते हो।
3.प्रेम की अंतिम स्थिति में प्रेमी के देह की ज़रूरत नहि होती।
4.द्वन्द्व का जब विलय होता है तभी प्रेम प्रकट होता है।
5.जब आप शून्य में होते हो तभी प्रेम में होते हो।
6.आनंद कहीं से आता नहि,जब आप पात्र बनते हो तभी वह आप से प्रकट होता है।
7.दुनिया को सुंदरत्तम बनाने के लिए बिन पौंधे के फूलों की संख्या बढ़नी चाहिए।
Tuesday, November 16, 2010
તારી સંપૂર્ણતા મારામાં છે
તારી સંપૂર્ણતા મારામાં છે તેથી મારું કોઇ ધ્યેય નથી;તું મારી સર્વ પ્રક્રિયાઓમાં અદ્વૈત રૂપે વિહરે છે.
તારોમારામાંનો વિહાર અનેકોને કઠે છે પણ હું મધુરતાથી તારા ગીતોને ગુંજતો રહું છું.
હવે પક્ષીઓના કલરવમાં આનંદ છે;
હવે કઠોરતામાં કોમળતાનો સ્પર્શ છે;
હવે નાસ્તિકતામાં તારી મૃદૃતાને મહેકતી જોવાઇ છે;
ને હું મધુરતાથી તારા ગીતોને ગુંજતો રહું છું.
તારોમારામાંનો વિહાર અનેકોને કઠે છે પણ હું મધુરતાથી તારા ગીતોને ગુંજતો રહું છું.
હવે પક્ષીઓના કલરવમાં આનંદ છે;
હવે કઠોરતામાં કોમળતાનો સ્પર્શ છે;
હવે નાસ્તિકતામાં તારી મૃદૃતાને મહેકતી જોવાઇ છે;
ને હું મધુરતાથી તારા ગીતોને ગુંજતો રહું છું.
Saturday, October 16, 2010
MY SOME TWEETS FROM TWITTER
1. Work with the attitude of worship to spread peace in the world.
2. Travel must be in love-first level of body, second level of the mind, last level of soul...First level be stuck on the love can be dangerous.
3. सेक्स में इतना मत जाओ कि प्रेम की सुगंध ही न आए।ऐसा सेक्स खतरनाक बन सकता है।
4. जहाँ दो होता है वहाँ संघर्ष होता ही है। जितना संवाद ज्यादा उतना संघर्ष कम।संघर्ष अद्वैत होने से ही मिटता है।
5. Beyond the mind, you can get enjoy.
6. भीड़ में जीनेवाले लोग आमतौर पर सच्चे को जुठा और जुठे को सच्चा समझते है।
7. As waves of peace around waving, it calls home.
8. Breathtaking things are dangerous because they would not let us inner.
9. अहंकार दुर होता है तभी ज्ञान का जन्म होता है।
10. Get the ultimate has to be absolute.
11. वर्षा आती है/छाता लेके बैठे है/कैसे भीगेगे?#haiku
2. Travel must be in love-first level of body, second level of the mind, last level of soul...First level be stuck on the love can be dangerous.
3. सेक्स में इतना मत जाओ कि प्रेम की सुगंध ही न आए।ऐसा सेक्स खतरनाक बन सकता है।
4. जहाँ दो होता है वहाँ संघर्ष होता ही है। जितना संवाद ज्यादा उतना संघर्ष कम।संघर्ष अद्वैत होने से ही मिटता है।
5. Beyond the mind, you can get enjoy.
6. भीड़ में जीनेवाले लोग आमतौर पर सच्चे को जुठा और जुठे को सच्चा समझते है।
7. As waves of peace around waving, it calls home.
8. Breathtaking things are dangerous because they would not let us inner.
9. अहंकार दुर होता है तभी ज्ञान का जन्म होता है।
10. Get the ultimate has to be absolute.
11. वर्षा आती है/छाता लेके बैठे है/कैसे भीगेगे?#haiku
Sunday, October 10, 2010
वह बैठी थी
वह बैठी थी
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वह बैठी थी।
"कैसी हो?"पूरा प्यार से मैंने पूछा।
वह रोने लगी।
मैंने उसे बाहों में ली...वह मधुर हास्य करने लगी।
...और मैं भी।
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वह बैठी थी।
"कैसी हो?"पूरा प्यार से मैंने पूछा।
वह रोने लगी।
मैंने उसे बाहों में ली...वह मधुर हास्य करने लगी।
...और मैं भी।
Saturday, October 2, 2010
અંધારાને ભેદીને હું...
અંધારાને ભેદીને હું પ્રકાશને મળવા પ્રયત્ન કરતો હતો.મારા અનેક પ્રયત્નો છતા તે મળ્યો નહીં.
"અંધારાને ભેદવાથી પ્રકાશ કદી મળતો નથી.પ્રકાશ આવે તો જ અંધકાર દૂર થાય."નિદ્રામાં સ્વપ્નદેવીએ હસીને મને કહ્યું.
"કઇ રીતે પ્રકાશ આવે?"મારાથી પૂછાઇ ગયું.
એ મને અચંબામાં મૂકીને અનુત્તર ચાલી ગઇ.
મેં પ્રકાશને પામવાની ઇચ્છા,પ્રયત્નો છોડી દીધા.
સ્થિર થઇ એક જગ્યાએ બેસી ગયો.એક દિવસ મેં જોયું કે પ્રકાશ મારી ચોપાસ મુક્ત મને હસી રહ્યો હતો.
"અંધારાને ભેદવાથી પ્રકાશ કદી મળતો નથી.પ્રકાશ આવે તો જ અંધકાર દૂર થાય."નિદ્રામાં સ્વપ્નદેવીએ હસીને મને કહ્યું.
"કઇ રીતે પ્રકાશ આવે?"મારાથી પૂછાઇ ગયું.
એ મને અચંબામાં મૂકીને અનુત્તર ચાલી ગઇ.
મેં પ્રકાશને પામવાની ઇચ્છા,પ્રયત્નો છોડી દીધા.
સ્થિર થઇ એક જગ્યાએ બેસી ગયો.એક દિવસ મેં જોયું કે પ્રકાશ મારી ચોપાસ મુક્ત મને હસી રહ્યો હતો.
Saturday, September 18, 2010
હાઇકુ
1.
હાઇકુ નાનું ?
કવિતા સૂક્ષ્મતર
શબ્દહીન જ!
2.
તૈયાર તો થા
ધૈર્યગીતો સૂણ,ગા
જ્યોત આવશે.
3.
પૂર્ણ સાંભળી
ઊતરે આચરણે
જીવન તારે.
4.
સેક્સમાં મઝા
ન અટકો,ચાલો રે
પ્રેમ જ પ્રભુ.
5.
ઝાકળબિંદુ
સોહાયું વૃક્ષપર્ણે
સૌંદર્યગીત.
6.
મદદગાર
પ્રગટાવવો તને
ભાવ છે તારો.
7.
કરવું તને
પછી ડરવું શાને?
કર ને મર.
8.
ગા,ગા,ગા મન
તારું કવન ગીત
પછી વિશ્રામ.
9.
રાધાનું ગીત
કૃષ્ણ સંગીતકાર
પ્રેમ જ પ્રેમ.
હાઇકુ નાનું ?
કવિતા સૂક્ષ્મતર
શબ્દહીન જ!
2.
તૈયાર તો થા
ધૈર્યગીતો સૂણ,ગા
જ્યોત આવશે.
3.
પૂર્ણ સાંભળી
ઊતરે આચરણે
જીવન તારે.
4.
સેક્સમાં મઝા
ન અટકો,ચાલો રે
પ્રેમ જ પ્રભુ.
5.
ઝાકળબિંદુ
સોહાયું વૃક્ષપર્ણે
સૌંદર્યગીત.
6.
મદદગાર
પ્રગટાવવો તને
ભાવ છે તારો.
7.
કરવું તને
પછી ડરવું શાને?
કર ને મર.
8.
ગા,ગા,ગા મન
તારું કવન ગીત
પછી વિશ્રામ.
9.
રાધાનું ગીત
કૃષ્ણ સંગીતકાર
પ્રેમ જ પ્રેમ.
Friday, September 10, 2010
ભીતર,બહાર સાથે...
"ભીતર,બહાર સાથે એકરૂપ થઇ જાય ત્યારે અદ્વૈત સ્થિતિ સર્જાય છે.એકલું બહાર કે ભીતર ભટકવું નિરર્થક છે.બંનેમાં વિહરો,સાક્ષીભાવે!તમારો વિહાર પૂર્ણ થયા પછી અદ્વૈત સ્થિતિ જ રહે છે."
સદ્ગુરુના આ શબ્દો શિષ્યના રોમ-રોમમાં ગુંજવા લાગ્યા.એ જ્યારે બાર વર્ષ પછી સદ્ગુરુ પાસે આવ્યો ત્યારે ગુરુ સસ્મિત એનામાં સમાઇ ગયા.પ્રકૃતિ ત્યારે અદ્વૈતભાવનું ગીત ગાઇ રહી હતી.
Thursday, September 2, 2010
લોકો મને સહજ રીતે...
લોકો મને સહજ રીતે...
****************
લોકો મને સહજ રીતે ત્યાં જીવવા દેતા ન હતા. મેં એ ગામ છોડી દીધું.
હું ગામે-ગામ ભટક્યો.લોકોનો વર્તાવ એવો જ રહ્યો.
અંતે મેં જંગલમાં નિવાસ કર્યો.સહજતા સાથે મારા દિવસો પ્રસાર થઇ રહ્યા હતા પણ કયારેક એક ન
સમજાય એવો અજંપો મારી ઉપર સવાર થઇ જતો.
મેં એને પૂછયું,‘આ અજંપો કેમ? ’
'તારી સહજતા અપૂર્ણ છે.સાર અને અસારથી પર થવાય ત્યારે જ સહજતા શાશ્વત થઇ મારામાં ભળે
છે.’એણે સહજતાથી જવાબ આપ્યો.
'શું કરું આના માટે?'
'ટૂંકો માર્ગ છે,ફરી લોકો વચ્ચે જીવ.'જવાબ આપી એ અદૃશ્ય થઇ ગયો.
મેં મારા મૂળ ગામે જવા પગ ઉપાડયા.
****************
લોકો મને સહજ રીતે ત્યાં જીવવા દેતા ન હતા. મેં એ ગામ છોડી દીધું.
હું ગામે-ગામ ભટક્યો.લોકોનો વર્તાવ એવો જ રહ્યો.
અંતે મેં જંગલમાં નિવાસ કર્યો.સહજતા સાથે મારા દિવસો પ્રસાર થઇ રહ્યા હતા પણ કયારેક એક ન
સમજાય એવો અજંપો મારી ઉપર સવાર થઇ જતો.
મેં એને પૂછયું,‘આ અજંપો કેમ? ’
'તારી સહજતા અપૂર્ણ છે.સાર અને અસારથી પર થવાય ત્યારે જ સહજતા શાશ્વત થઇ મારામાં ભળે
છે.’એણે સહજતાથી જવાબ આપ્યો.
'શું કરું આના માટે?'
'ટૂંકો માર્ગ છે,ફરી લોકો વચ્ચે જીવ.'જવાબ આપી એ અદૃશ્ય થઇ ગયો.
મેં મારા મૂળ ગામે જવા પગ ઉપાડયા.
Monday, August 30, 2010
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